गुनाहों की नहीं जाती है आ’दत | gunaahon ki nahin jaati hai aadat
गुनाहों की नहीं जाती है आ’दत | gunaahon ki nahin jaati hai aadat
गुनाहों की नहीं जाती है आ’दत या रसूलल्लाह ﷺ
तुम्हीं अब कुछ करो
माहे रिसालत या रसूलल्लाह ﷺ
गुनाहों से मुझे हो
जाए नफ़रत या रसूलल्लाह ﷺ
निकल जाए बुरी हर एक ख़सलत या रसूलल्लाह ﷺ
गुनह (गुनाह) लम्हा
ब-लम्हा हाए ! अब बढ़ते ही जाते
हैं
नहीं पर इसपे हाए कुछ नदामत या रसूलल्लाह ﷺ
गुनह (गुनाह) कर-करके हाए ! हो गया दिल सख़्त पत्थर से
करूँ किससे कहाँ जा कर शिकायत या रसूलल्लाह ﷺ
मैं बचना चाहता हूँ
हाए ! फिर भी बच नहीं पाता
गुनाहों की पड़ी है ऐसी आ’दत या रसूलल्लाह ﷺ
कमर आ’माल-ए बद ने हाए ! मेरी तोड़ कर रख दी
तबाही से बचा लो जान-ए रहमत या रसूलल्लाह ﷺ
मेरे मुँह की स्याही
से अँधेरी रात शरमाए
मेरा चेहरा हो ताबां नूर-ए इज़्ज़त या रसूलल्लाह ﷺ
ब-वक़्ते नज़ा’ आक़ा हो न जाऊँ मैं कहीं बर्बाद
मेरा ईमान रख लेना सलामत या रसूलल्लाह ﷺ
तेरे रब की क़सम मैं
लाइक़-ए नार-ए जहन्नम हूँ
बचा सकती है बस तेरी शफ़ाअ’त या रसूलल्लाह ﷺ
यहाँ जैसे हमारी ऐ’ब पोशी आप करते हैं
वहां भी आप रख लीजेगा (लीजिएगा) इज़्ज़त या रसूलल्लाह ﷺ
फ़साद-ए नफ़्स-ए ज़ालिम से बचा लो अज़-पए शैख़ैन
करो शैतान से मेरी
हिफ़ाज़त या रसूलल्लाह ﷺ
सही जाती नहीं हैं
सख़्तियाँ सकरात की सरकार !
सरे बालीं अब आओ जान-ए रहमत या रसूलल्लाह ﷺ
मेरा ये ख़्वाब हो
जाए शहा शर्मिंदा-ए ताबीर
मदीने में पियूँ जाम-ए शहादत या रसूलल्लाह ﷺ
मेरे दिल से हवस दुनिया
की दौलत की निकल जाए
अता कर दो मुझे बस अपनी उल्फ़त या रसूलल्लाह ﷺ
मेरे आँसू न हों बर्बाद
दुनिया की मुहब्बत में
रुलाए बस मुझे तेरी मुहब्बत या रसूलल्लाह ﷺ
फंसा जाता है दुनिया
की मुहब्बत में दिल-ए अत्तार
करो अत्तार से ये दूर आफ़त या रसूलल्लाह ﷺ
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नात : गुनाहों की नहीं जाती है आ’दत या रसूलल्लाह ﷺ
कलाम : इल्यास
अत्तार क़ादरी
मजमूआ'ए कलाम : वसाइल-ए-बख़्शिश
नात ख़्वान : असद रज़ा अत्तारी
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