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तू ही मालिक-ए बहर-ओ-बर है | Tu hi maalik-e-bahr-o-bar hai

तू ही मालिक-ए बहर--बर है | Tu Hi Maalik-e-Bahr-o-Bar Hai           


PART-A : LYRICS - बोल


तू ही मालिक-ए बहर--बर है या अल्लाहु या अल्लाह
तू ही ख़ालिक़े जिन्न  बशर है या अल्लाहु या अल्लाह


तू अबदी है तू अज़ली है तेरा नाम अलीम  अली है

ज़ात तेरी सबसे बरतर है या अल्लाहु या अल्लाह


वस्फ़ बयां करते हैं सारेसंग--शजर और चाँद सितारे

तस्बीह-ए हर ख़ुश्क--तर है या अल्लाहु या अल्लाह


तेरा चर्चा हर घर आँगनसहरा-सहरा गुलशन-गुलशन
वासिफ़ हर फ़ूल और समर है या अल्लाहु या अल्लाह


Tu Hi Maalik-e-Bahr-o-Bar Hai Ya ALLAHU Ya ALLAH


खलक़त जब पानी को तरसे रिम-झिम रिम-झिम बरखा बरसे
हर इक पर रहमत की नज़र है या अल्लाहु या अल्लाह


रात ने जब सर अपना छुपाया चिड़ियों ने ये ज़िक्र सुनाया
नग़मा बार नसीम-ए सहर है या अल्लाहु या अल्लाह


बख़्श दे तू अत्तार को मौला वास्ता तुझ को उस प्यारे का
जो सब नबियों का सरवर है या अल्लाहु या अल्लाह


PART - B : EXPLANATION | व्याख्या | तशरीह


तू ही मालिक-ए बहर--बर है या अल्लाहु या अल्लाह
तू ही ख़ालिक़े जिन्न  बशर है या अल्लाहु या अल्लाह
  • बहर ओ बर: हर सूखी और गीली अर्थात दुनिया की हर चीज़
  • या अल्लाहु या अल्लाह: ऐ अल्लाह ! ऐ अल्लाह !
  • ख़ालिक़े जिन्न ओ बशर: जिन्न और इंसानों को पैदा करने वाला

अनुवाद: ऐ अल्लाह ! एकमात्र तू ही हर सूखी और गीली (अर्थात दुनिया की प्रत्येक) चीज़ का मालिक है और तू ही एकमात्र जिन्न और इंसानों को पैदा करने वाला है |


तू अबदी है तू अज़ली है तेरा नाम अलीम  अली है

ज़ात तेरी सबसे बरतर है या अल्लाहु या अल्लाह
  • तू अबदी है तू अज़ली है: तू शाश्वत है, तू अमर है - अर्थात हमेशा से है और हमेशा रहने वाला है
  • लीम ओ अली: अल्लाह के नाम (अलीम - सब कुछ जानने वाला; अली - सबसे श्रेष्ठ)
  • बरतर: सबसे बुलंद, सबसे बढ़कर

अनुवाद: ऐ अल्लाह ! तू शाश्वत है, तू अमर है (अर्थात हमेशा से है और हमेशा रहने वाला है); तेरा नाम अ’लीम (सब कुछ जानने वाला) और अ’ली (सबसे श्रेष्ठ) है; तेरी ज़ात सबसे बुलंद है |


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वस्फ़ बयां करते हैं सारेसंग--शजर और चाँद सितारे

तस्बीह-ए हर ख़ुश्क--तर है या अल्लाहु या अल्लाह
  • वस्फ़ बयां करते हैं सारे: सभी चीजें तुम्हारे गुण गाती हैं  - अर्थात तारीफ़ करती हैं
  • संग-ओ-शजर: पत्थर (पहाड़) और पेड़
  • तस्बीह-ए हर ख़ुश्क--तर है: हर सूखी और गीली चीज़ (अर्थात ज़मीन की प्रत्येक वस्तू) तेरी ही महिमा  करती है

अनुवाद: ऐ अल्लाह ! दुनिया की सारी चीज़ें तेरे ही गुण गाती हैं; फिर वह पेड़, पहाड़ या चाँद सितारे ही क्यों न हों; यहाँ तक की हर सूखी और गीली चीज़ (अर्थात ज़मीन की प्रत्येक वस्तू) अल्लाह-अल्लाह कहती है |


तेरा चर्चा हर घर आँगनसहरा सहरा गुलशन गुलशन
वासिफ़ हर फ़ूल और समर है या अल्लाहु या अल्लाह

  • सहरा सहरा गुलशन गुलशन: हर रेगिस्तान, हर बाग़-बगीचे में
  • वासिफ़ हर फ़ूल और समर है: हर फूल और फ़ल तेरी ही तारीफ़ करने वाला है

अनुवादऐ अल्लाह ! तेरी प्रशंसा (तारीफ़) हर घर-आँगन में होती है, हर रेगिस्तान और हर बाग़-बगीचे में होती है; हर फूल और फ़ल तेरी ही तारीफ़ बयान करता है |


खलक़त जब पानी को तरसे रिम-झिम रिम-झिम बरखा बरसे
हर इक पर रहमत की नज़र है या अल्लाहु या अल्लाह

  • खलक़त : रचना अर्थात दुनिया
  • रहमत की नज़र : दया दृष्टि

अनुवाद: दुनिया जब भी पानी को तरसती है तब रिम-झिम रिम-झिम बारिश होने लगती है;  ऐ अल्लाह ! तेरी रहमत की नज़र ( दया दृष्टि ) हर एक पर है |

Photo by Mike Kotsch on Unsplash

रात ने जब सर अपना छुपाया चिड़ियों ने ये ज़िक्र सुनाया
नग़मा बार नसीम-ए सहर है या अल्लाहु या अल्लाह

  • रात ने जब सर अपना छुपाया: जब रात अपना सिर छुपाती है अर्थात जब सुबह  ( भोर का वक़्त ) होता है
  • चिड़ियों ने ये ज़िक्र सुनाया: चिड़ियाँ भी यही ज़िक्र (चर्चा) करती हैं

अनुवादरात ख़त्म होते ही जैसे ही सुबह होती है चिड़ियाँ भी अल्लाह-अल्लाह का ज़िक्र करती हैं; और सुबह की ठंडी हवा भी अल्लाह – अल्लाह का नग़मा गाती है |


बख़्श दे तू अत्तार को मौला वास्ता तुझ को उस प्यारे का
जो सब नबियों का सरवर है या अल्लाहु या अल्लाह

  • बख़्श दे: माफ़ कर दे
  • अत्तार: कवि का नाम (इल्यास अत्तार क़ादरी)
  • नबियों का सरवर है: नबियों का सरदार ( मुहम्मद  )

अनुवाद: ऐ अल्लाह ! तुझ को अपने प्यारे और सारे नबियों के सरदार ( मुहम्मद  ) का वास्ता तू अत्तार को माफ़ कर दे |


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हम्द : तू ही मालिक-ए बहर--बर है या अल्लाहु या अल्लाह

कलाम : इल्यास अत्तार क़ादरी

मजमू-आ'-ए कलाम : वसाइल-ए-बखशिश

सना ख़्वान : मुहम्मद सूफ़ियान क़ादरी 


सूफ़ियान क़ादरी


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